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धनुषा । ‘केरा जे फरल घउरमे ओहि पर सुगा मंडराय मारबौ रे सुगबा धनुषसँ सुगा गिरे मुरूझाय सुगनी जे कानति वियोगसँ दीनानाथ होयब सहाय’ यति खेर यस्तै लोकगीत सङ्गीतले जनकपुरधामसहित सारा मिथिलाञ्चल छठमय बनेको छ । अहिले गाउँ, सहर, बजार चोक चौराहा सबैतिर छठ गीतको धुनले सारा माहौल छठमय धुनमा